मानवता से बढ़कर धर्म ! आखिर क्यों ?

मानवता से बढ़कर धर्म ! आखिर क्यों ?



    15 सितंबर 2021 को सिंधु बॉर्डर से जो तस्वीर सामने आई वो दिल दहलाने वाली थी। एक दलित व्यक्ति  लखबीर सिंह का क्रूरता के साथ हाथ काटकर लटका दिया और तड़प तड़प कर मरने दिया। इस तरह की क्रूरता भरी सजाओ के बारें में हमने बचपन में अपने बुजुर्गों से सुना था, लेकिन अब देख भी लिया। इस घटना ने सिख समाज के साथ -साथ  पूरी मानवता को भी शर्म शार कर दिया। जिसके दिल में थोड़ी भी इन्सानित बची होगी, उसका दिल लखबीर सिंह की हत्या को देखकर पसीज गया होगा। अगर इस घटना को देखकर कोई  व्यक्ति विचिलित नहीं हुआ होगा तो उसका दिल जानवरों से भी बद्दतर है और उसके अंदर से इंसानियत मर गई है और वो एक सभ्य समाज के लिए खतरा है। 

    सवाल ये उठता है की लखबीर सिंह की इस तरह निर्मम हत्या क्यों की गई ? लखबीर सिंह निहंग डेरा में सेवादार था अर्थात निहंग संतों की सेवा करता था। वह किसान आंदोलन में निहंग संतों के साथ रह रहा था और उनकी सेवा करता था। लखबीर सिंह पर इल्जाम लगाया गया है की उसने गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया है उसे छुआ उसे लेकर भाग गया। इसलिए निहंगों से उसे इस तरह की सजा दी। 
    अब सवाल यह उठता है की किसी धर्म ग्रंथ को हाथ लगाना या उसे उठाया किसी धर्म ग्रंथ का अपमान कैसे हुआ, अगर कोई धर्म ग्रंथ हाथ लगाने मात्र से ही अपवित्र हो  जाता है, तो वो धर्म ग्रंथ नहीं रद्दी है और वह सिर्फ और सिर्फ  समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहा है। फिर भी अगर लखबीर सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया भी था तो इन निहंगों को उसे सजा देने का अधिकार किसने दिया। क्या हमारे देश में कानून नहीं है। हमारे संविधान में धार्मिक अपमान के लिए सजा का प्रबधान है तो क्या इन निहंगों के लिए कानून के कोई मायने नहीं रह गए। निहंगों ने लखबीर सिंह को सजा दी तो क्या उनके रब/खुदा/ ईश्वर/ वाहे गुरु/GOD ने सजा देने के लिए उन्हे  नियुक्त किया गया था। 
    
    आज तक हम सुनते आए है कि निहंग बहुत ही बहादुर होते है, लेकिन एक लाचार, मजलूम, कमजोर व अकेले व्यक्ति को घेर कर भीड़ द्वारा हत्या कर दी और ये निहंग अपनी बहादुरी समझ रहे है, मेरी नजर में तो ये कायरता पूर्ण कृत्य है। 

    इस घटना पर अनेक निहंग गुरुयों के बयान आए हैं की, लखबीर सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया है, इसलिए उसे उसकी सजा मिली है। इन धर्म गुरुयों से वही सवाल की तुम होते कोन हो किसी को सजा देने वाले। इसके लिए हमारे देश मे कानून है। फिर अगर उसने गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया तो उसे उन पर छोड़ देना चाहिए था यही सजा देते। 
    ठीक इसी प्रकार लगभग एक साल पहले लॉकडाउन के समय पटियाला में एक निहंग ने एक पुलिस के एक जवान का हाथ काट  दिया था, उस पुलिस के जवान ने निहंग से बस ये कहा था की लॉकडाउन के समय आप बिना पास के घूम रहे हो, आप इस तरह नहीं घूम सकते है, और इसकी सजा उस पुलिस वाले लो अपना हाथ खो कर चुकानी पड़ी। 
    
    अब इस पर कुछ और सवाल उठते है कि अगर कोई उच्च जाति का प्रतिष्ठावान व्यक्ति इस तरह का कोई काम कर देता तो ये निहंग उस की ओर आँख उठा कर भी नहीं देखते। लखबीर सिंह दलित और गरीब होने के कारण उसे इस तरह की सजा मिली। प्रसाशन ने भी लखबीर सिंह के साथ कम बर्बरता नहीं की। पोस्टमार्टम के बाद शव उसके घर न ले जाके कर सीधे शमसान घाट ले जाया गया और वहाँ पर ही उसके परिजनों को बुलाया गया। और परिजनों की अनुमति के बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। आखिर कब तक ये धर्म के नाम कमजोर, मजलूमों पर अत्यताचर करते रहेंगे। 
    
    लखबीर सिंह की मौत के बाद हमारे सामने कई सवाल और खड़े  हो जाते है-
क्या निहंगों के पास लखबीर सिंह के द्वारा गुरु ग्रंथ का अपमान करने के कोई सबूत है, अगर है भी तो सबूतों अभी तक उजागर क्यों नहीं किया गया?
लखबीर सिंह काफी समय से निहंगों के साथ रहकर उनकी सेवा कर रहा था तो क्या लखबीर सिंह को निहंगों के बारें में कुछ ऐसा तो मालूम नहीं चल गया जो उसे नहीं मालूम चलना चाहिए था, जिसके सामने आने पर निहंगों के बारे कोई राज खुल जाता। सवाल तो कई सारे उठते है जो लखबीर सिंह की मौत के साथ ही दफन हो गए। 

    एक दूसरा पहलू भी सामने आते है की इस  घटना को  शायद जानबूझ कर तो अंजाम नहीं दिया गया क्योंकि इस घटना के आने पर कई ऐसे मुद्दे है जिनसे बहुजन समाज का ध्यान उन मुद्दे से दिशा परिवर्तन हो  कर इस घटना पर केंद्रित हो गया है। 
Photo From Lokesh Pooja Ukey Twitter @LokeshPoojaUkey



खैर वजह जो भी हो ये घटना बहुत ही निर्मम है और धर्म के नाम पर इस तरह की घटनाए। आए दिन देखने को मिलती है और इस तरह की घटनाओ के शिकार निचले तबके की लोग ही होते है। और बार बार जहन यही सवाल आता है, कि आखिर  "मानवता से बढ़कर धर्म" क्यों है। क्यों मानवता के आगे धर्म को इतना महत्व दिया जाता है। 

    सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने का लिए कड़े कानून बनाने चाहिए और उन्हे सख्ती से लागू करना चाहिए, वरना वो दिन दूर नहीं जब कोई धार्मिक रूप से क्रूर मानसिकता का व्यक्ति धर्म की आड़ लेकर मासूम , मजलूम व कमजोरों पर अत्याचार करता रहेगा। 

"इंसान को मार कर धर्म की रक्षा करने से बेहतर  है, कि धर्म को मार कर इंसान की रक्षा करें क्योंकि इंसानियत ही सबसे बाद धर्म है" तथागत गौतम बुद्ध 





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