भारतीय संविधान का भाग 3 (Part III) :मौलिक अधिकार

भारतीय संविधान का भाग 3 (Part III) : मौलिक अधिकार



भारतीय संविधान का भाग 3 (Part III) मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) से संबंधित है। यह भाग भारतीय नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करता है, जिन्हें संविधान द्वारा सुरक्षित किया गया है। मौलिक अधिकार भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक माने जाते हैं और इनका उल्लंघन न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

भाग 3 के अंतर्गत अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक शामिल हैं, जो निम्नलिखित प्रकार के मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं:

 

अनुच्छेद 12- राज्य की परिभाषा:  इस अनुच्छेद में 'राज्य' की परिभाषा दी गई है, जिसमें सरकार और संसद, राज्य की विधानमंडल, स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।

अनुच्छेद 13 - कानून की असंगति से निवारण: इस अनुच्छेद के अनुसार, कोई भी कानून जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, उसे शून्य और शून्यत्मक माना जाएगा।

अनुच्छेद 14 - कानून के समक्ष समानता: इस अनुच्छेद के तहत सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता और राज्य के द्वारा समान संरक्षण का अधिकार प्रदान किया गया है।


अनुच्छेद 15 - भेदभाव के विरुद्ध निषेध: इस अनुच्छेद में धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध संरक्षण दिया गया है।

 

अनुच्छेद 16 - सार्वजनिक रोजगार में अवसरों की समानता: इस अनुच्छेद में सार्वजनिक रोजगार के मामले में समानता का अधिकार प्रदान किया गया है।

 

अनुच्छेद 17 - अस्पृश्यता का उन्मूलन: इस अनुच्छेद में अस्पृश्यता का अंत किया गया है और इसके अभ्यास को दंडनीय अपराध माना गया है।

 

अनुच्छेद 18 - उपाधियों का उन्मूलन: इस अनुच्छेद में भारत में किसी भी प्रकार की उपाधियों (टाइटल्स) को देने या धारण करने पर रोक लगाई गई है, सिवाय कुछ विशेष योग्यताओं के।

 

अनुच्छेद 19- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: इस अनुच्छेद में स्वतंत्रता के कुछ अधिकार दिए गए हैं, जैसे कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संगठनों की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी हिस्से में घूमने की स्वतंत्रता, निवास और बसने की स्वतंत्रता, और किसी भी व्यवसाय, व्यापार, या व्यवसाय को करने की स्वतंत्रता।

 

अनुच्छेद 20- अपराधों के लिए संरक्षण: इस अनुच्छेद में आपराधिक मामलों में सुरक्षा दी गई है, जैसे कि पूर्वव्यापी अपराध न होना, दोहरी सजा का निषेध, और आत्म-अपराधीकरण के लिए बाध्यता न होना।

 

अनुच्छेद 21- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: इस अनुच्छेद में किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।

 

अनुच्छेद 21ए - शिक्षा का अधिकार: इस अनुच्छेद में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।

 

अनुच्छेद 22 - गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकार: इस अनुच्छेद में गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली कार्रवाई के बारे में अधिकार दिए गए हैं।

 

अनुच्छेद 23- मानव दुर्व्यापार और बलात श्रम का निषेध: इस अनुच्छेद में मानव दुर्व्यापार, बलात श्रम और अन्य समान प्रकार के श्रम का निषेध किया गया है।

 

अनुच्छेद 24- बच्चों से कारखानों में काम कराने का निषेध: इस अनुच्छेद के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखानों, खदानों, और अन्य खतरनाक कामों में काम करने से निषेधित किया गया है।

 

अनुच्छेद 25 से 28- धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार: इनमें धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार, धर्म के प्रचार, पालन और प्रचार का अधिकार, धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप से संरक्षण, और धार्मिक मामलों के प्रबंधन के अधिकार शामिल हैं।

 

अनुच्छेद 29 से 30 - सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार: इनमें सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों का संरक्षण, अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार, और अल्पसंख्यक समुदायों को शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार दिया गया है।

 

अनुच्छेद 32- संवैधानिक उपचारों का अधिकार: इस अनुच्छेद में किसी भी मौलिक अधिकार के उल्लंघन की स्थिति में न्यायालय में जाने का अधिकार दिया गया है। इस अनुच्छेद को "मौलिक अधिकारों का संरक्षक" भी कहा जाता है।

 

भारतीय संविधान के भाग 3 में दिए गए ये मौलिक अधिकार नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनके संरक्षण के लिए भारतीय न्यायपालिका का महत्वपूर्ण भूमिका है।

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